शिक्षा के क्षेत्र उल्लेखनीय कार्य करने वाले स्वनामधन्य खंडेलवाल परिवार में उत्पन्न सेठ बनारसीलाल खंडेलवाल ने अपने परिवार की यशस्वी परम्परा के अनुरूप मऊनाथ भंजन तथा समीपवर्ती क्षेत्र में उच्चस्तरीय शिक्षा के प्रसार हेतु अपने पिता दुर्गादत्त, अग्रज चुन्नीलाल तथा पितृव्य सागरमल की पुण्य स्मृति में इस विद्यालय की स्थापना की | महाविद्यालय की नीव उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल महामहिम विश्वनाथ दास ने सन् 1964 में रखी थी | गोरखपुर विश्वविद्यालय से एक सम्बद्ध महाविद्यालय के रूप में 1 अगस्त, 1966 ई0 को इसका प्रथम सत्रारम्भ हुआ | फरवरी सन् 1968 में इस महाविद्यालय को स्थायी मान्यता प्रदान की गयी | पूर्वी उत्तर प्रदेश के मुख्य आद्योगिक नगर मऊनाथ भंजन का एकमात्र महाविद्यालय है , जिसको स्थायी मान्यता प्रदान की गयी है | तभी से महाविद्यालय निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है | सन् 1978-79 में स्नाकोत्तर स्तर पर हिंदी एवं अंग्रेजी विषयों की संबद्धता के साथ महामहिम राज्यपाल महोदय ने इसे स्नातकोत्तर महाविद्यालय के रूप में मान्यता प्रदान कर इस क्षेत्र की महती आवश्यकता की पूर्ति की | पर्वांचल विश्वविद्यालय , जौनपुर की स्थापना के बाद अब यह महाविद्यालय उसी से सम्बद्ध है | स्ववित्तपोषि योजनान्तर्गत विज्ञानं संकाय में स्नातक स्तर पर बायोग्रुप और गणित ग्रुप के विषयों का शिक्षण कार्य सत्र 2003-2004 से संचालित किया जा रहा है और स्नातकोत्तर स्तर पर उर्दू, भूगोल एवं इतिहास की शिक्षा दी जा रही है | महाविद्यालय में इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय , नई दिल्ली और उoप्रo राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय , इलाहाबाद का मुख्य अध्यन केंद्र स्थापित है , जिससे क्षेत्र में मुस्लिम एवं अल्पसंख्यक/ अनुसूचित समुदाय के शैक्षिक विकाश को आयाम मिलता है | एन.सी..सी. ,एनoएसoएसo,रोवर्स / रेंजर्स एवं खेलकूद के कर्यक्रम से विद्यार्थी को मानसिक एवं शारीरिक विकास का अवसर प्राप्त होता है |